किश्तियाँ, मछलियाँ
यादें ही यादें ।
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छोटी गली में
खो गया है अपना
बड़ा सपना ।
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वर्षा बौछार
भीगे घर आँगन
और मैं भी तो ।
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बौराई मैना
बतियाते दरख्त़
मौसम चुप ।
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कोमल बड़े
तुमसे जुड़े तार
रेशमी रिश्ते ।
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कहा नदी ने
किनारे थे बहरे
हवा में बात ।
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-डॉ० शैल रस्तोगी
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